किन्नर का इंसाफ भाग 6
अगले दिन सुबह तांत्रिक जमींदार के घर आता है....और पूजा की तैयारी करवाता है.....
जमींदार अगले 10 दिन बाद अमावस्या है हमे उसी दिन इस आत्मा का कंकाल जलाना पड़ेगा, और पूजा करनी पड़ेगी, लेकिंन तब तक तुझे सावधान रहना पड़ेगा.......अभी कुछ शांति के लिए मैं यह पूजा कर रहा हूँ.......तांत्रिक बोलता है जमींदार से....
पूरी हवेली रोने, गुर्राने, हंसी और तालियों की गड़गड़ाहट से गूँजने लगती है......लेकिन इस बार सिर्फ सौम्या , संदीप , नही बल्कि सुलेखा भी हंस रही थी.....नौकरानी बिमला भी,,,,,,सभी हँसते हुए तांत्रिक की तरफ बढ़ने लगते है......इतने सारे लोगो को अपनी तरफ आता देख तान्त्रिक और जोर - जोर से मंत्र पढ़ने लगता है......
तांत्रिक के मंत्रों के प्रभाव से बिमला, सुलेखा और संदीप तो शांत हो जाते हैं लेकिन तभी सौम्या गुर्राते हुए तांत्रिक की तरफ बढ़ती है और एक झटके में तांत्रिक को पकड़ कर हवा में उछाल देती है,,,,,,
तांत्रिक वहां से अपनी जान बचा कर भागता है और तांत्रिक को देख जमींदार भी तांत्रिक के पीछे पीछे ही भगता है....
पूरी हवेली एक बार फिर हँसी, रोने, चीखने, गुर्राने और तालियों की गड़गड़ाहट से गूँजने लगती है.....गाव के सभी लोग अब जमींदार की हवेली के नाम से ही घबराने , कांपने लगते हैं.....
इधर तांत्रिक और ज़मीदार शमशान पहुच चुके थे , और जमींदार परेशान था ये सुलेखा और बिमला को क्या हुआ.... तांत्रिक समझ जाता है जमींदार की परेशानी, और पानी से भरा एक कटोरा जमींदार के सामने रखता है.....और जमींदार को उस कटोरे में सुलेखा के चेहरे में उसे सुलेखा कि बहन अंजू का चेहरा दिखाई देता है......लेकिन बिमला का चेहरा जमींदार भी पहचान नही पाता है.....
एक साँवली सी सुंदर कद काठी वाली औरत भरा हुआ शरीर तीखे नैन नक़्श....ऐसे जो इसी को भी उसकी तरफ खींच ले,,,,,,,सुलेखा की बहन अंजू......
2 साल पहले ही सुलेखा की बहन अंजू शहर से आती है दीवाली की रात अपनी बहन के साथ दीवाली मनाने....उस रात घर मे पार्टी थी जमींदार के कुछ दोस्त भी आये हुए थे,,,,,सभी पहले पूजा करते हैं , दीवाली मनाते हैं.... खा - पीकर सुलेखा और अंजू अपने कमरे में सोने चली जाती हैं,,,,,,
और जमींदार और उसके दोस्त बैठ जाते अपनी शराब की महफ़िल सजाने,,,,,
थोड़ी देर में अंजू का फ़ोन बजता है और अंजू बालकनी में आकर बात करने लगती है.....शराब के नशे में जमींदार के दोस्त की नजर अंजू पर पड़ती है....और वो जमींदार से अंजू की तारीफ करता है.....जमींदार हंसते हुए बोलता है तुम कहो तो इसे तुम्हारे बेड तक पहुँचा दूँ....
सभी हँसने लगते हैं और जमींदार क दोस्त बोलता है बेड का छोड़ो बस दो - चार ठुमके ही लगवा दो इससे....
अब जमींदार अंजू को बुलाता है और बोलता है तुम नाचो,,,,,अंजू वहाँ नाचने से मना कर देती है शराब के नशे में धुत जमींदार को लगता है अंजू द्वारा उसका उसके दोस्तों के सामने अपमान हुआ है और वो अंजू के बाल पकड़ कर खींचता है और एक थप्पड़ उसके गाल में मारता है.....और अंजू नाचने लगती है.......तभी जमींदार का दोस्त बोलता है यार मजा न आ रहा इसके डांस से,,,,,,कुछ अलग न कर रही और उठते हुए अंजू की साड़ी पकड़ कर खींचने लगता है अब अंजू पेटिकोट और ब्लाउज में होती है और सभी हंस रहे होते हैं,,,,,,तभी अंजू जमींदार के उस दोस्त के गाल पर एक तमाचा जड़ देती है..... इसकी वजह से बौखलाया हुआ जमींदार और उसके दोस्त जो औरत को मात्र एक सामान समझते थे......अंजू के साथ सभी बलात्कार करते हैं और उसे मार कर वही जमीन में दफना देते हैं......
और ये सब सुलेखा अपनी खिड़की से देख रही होती है.....
पर कुछ नही बोलती......न कभी जमींदार से अंजू के बारे में पूछती है.....सब कुछ ऐसा ही रहता है अगली सुबह जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो....
अब जमींदार तांत्रिक की तरफ देखता है और तांत्रिक से बिमला के बारे में पूछता है......तांत्रिक बोलता है वो इन आत्माओं की तुझे भ्रम में डालने की चाल है.....
और रात में तांत्रिक शमशान में पूजा करना चालू कर देता है.....राधिका के बूढ़े बाप को भी तांत्रिक जमींदार से बोल कर शमशान बुलवाता है.....पूजा चल ही रही थी तभी संदीप गुर्राते हुए शमशान की तरफ आता है.......
और वहां पहुचते ही संदीप जमींदार का गला पकड़ लेता है.....
राधिका छोड़ दे उसे वरना तेरा अंत आज निश्चित है...तांत्रिक जोर - जोर से मंत्र पड़ते हुए चिल्लाता है......राधिका हँसती हैं और जमींदार को हवा में उठा कर नीचे फेंक देती है....
तांत्रिक जमींदार को एक रक्षा सूत्र देता है और पूजा पर ही ध्यान देने को बोलता है....
थोड़ी देर में राधिका की शक्तियां कम होने लगती है तभी राधिका की नजर अपने पिता पर पड़ती है....और राधिका जोर जोर से रोने लगती है राधिका के पिता भी राधिका से गले लग कर रोने लगते हैं.....
और थोड़ी देर में अचानक राधिका का दम घुटने लगता है और राधिका देखती है कि उसके पिता ने उसके गले में तांत्रिक की दी हुई ताबीज डाल दी थी.....
राधिका और रोने लगती है तब राधिका के पिता बोलते हैं मुझे माफ़ कर दो राधिका..... पर अब जो हो गया सो हो गया...तुम जाओ अब......
और तान्त्रिक राधिका की आत्मा को एक बोतल में कैद कर लेता है,,,,।
संदीप अब पूरी तरह से ठीक हो चुका था.....लेकिन उसके मन मे जमींदार की काली करतूत जान कर अपने बाप के लिए नफरत भर जाती है, और वो तय करता है कि वो उन आत्माओं की मद्दद करेगा और जमींदार को उसके किये की सजा जरूर दिलवायेगा......
संदीप हवेली पहुचता है और (सौम्या) सरोज और (सुलेखा) अंजू की आत्मा से वादा करता है कि वो उन सभी को इंसाफ दिलवायेगा.....
जमींदार के दहशत भरे 10 दिन बीत जाते हैं और आखिर आ ही जाती है वो अमावस्या की रात.....
अब शमशान घाट में चल रहा था तांत्रिक अनुष्ठान.....50 की संख्या में किन्नर वहां मौजूद थे जो जमींदार को बचाने आये थे उसकी पूजा को सफल बनाने की पूरी कोशिश में लगे थे सभी.....
इधर हवेली तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रही थी.....
सौम्या के बताए अनुसार की संदीप हवेली के चारो तरह सिंदूर से एक घेरा बना देता है.....
आगे की कहानी अगले भाग में.....
रोशनी शुक्ला